बाबू जगजीवन राम के चिंतन में गाँव, गरीब और किसान

Published On: 20-10-2021
Posted By: Public Relation Officer, Bihar Circle
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डॉ. अम्बेडकर के  कार्यों और विचारों को  वैश्विक फलक पर स्थापित करने के उदेश्य से हेरीटेज सोसाईटी  तथा  डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय दृढ़ संकल्पित है। इस हेतु  वैश्विक स्तर के समाज सुधारकों, विद्वानों एवं शोधार्थियों को  डॉ. अम्बेडकर  के जन्मस्थली  महू से लगातार जोड़ा जा रहा है। इसी उदेश्य से आजादी के अमृत महोत्सव शृंखला के कार्यक्रम के अंतर्गत ‘बाबु जगजीवन राम के चिंतन में गाँव, गरीब और किसान’  विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन  किया गया।

"बाबु जगजीवन राम ने स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान सामाजिक समरसता  का अतुलनीय  योगदान दिया था। बाबुजी के कृति-व्यक्तित्व को समाज में संवर्धित व संप्रेषित करने के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्य किया जा रहा है। " उक्त बातें ब्राउस कुलपति प्रो. आशा शुक्ला द्वारा बाबु जगजीवन राम पीठ, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू तथा हेरीटेज सोसाईटी, पटना के संयुक्त तत्वावधान में अमृत महोत्सव कार्यक्रम-19 में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार विषय ‘बाबु जगजीवन राम के चिंतन में गाँव, गरीब और किसान’ में बतौर अध्यक्ष कही गयी । 


 
कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि बाबु जगजीवन राम का किसानों के संबंध में अटूट रिश्ता रहा है।  विभिन्न पदों पर रहते हुए उनके चिंतन केंद्र में सदैव गाँव, गरीब और किसान ही रहे हैं।  विश्वविद्यालय में स्थापित बाबु जगजीवन राम पीठ के माध्यम से उनके कार्यों को और अधिक प्रसार देने के लिए संकल्पित हैं, जिससे राष्ट्र कल्याण का समरस भाव लोगों में उद्धृत हो सके।  बाबु जगजीवन राम ने अपने समय में यथा स्थितिवाद से संघर्ष करते हुए जो मुकाम हासिल करते हैं, उनसे बड़ा समावेशी व समरस व्यक्तित्व उस दौरान नहीं दिखता है।  उनके समावेशी और सनातन परंपरा के योगदान को जनमानस में पहुँचाने हेतु  हम सभी को संकल्पित होना चाहिए।    

मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. ओमशंकर गुप्ता ने कहा कि स्वाधीनता आन्दोलन में बाबु जगजीवन राम एक सनातनी नायक के रूप में रहे।  वे जितने शांत थे, उतना ही मजबूत भी थे।  कुछ विषम परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने कभी किसी के खिलाफ नफरत नहीं फैलाई, देश और लोक को प्रथम माना और सौहार्द का रास्ता चुना। बाबु जगजीवन राम ने राष्ट्रीय सांस्कृतिक अस्मिता के साथ देशज अस्मिता को जोड़ने का अथक प्रयास किया।  उनका किसी जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय से कोई दुराग्रह नहीं था।  वे एक समरसता एवं समता मूलक समाज चाह रहे थे। 
 
बाबु जगजीवनराम पीठ के अध्यक्ष प्रो.  शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि  गाँव के चिंतन से ही सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।  विश्वविद्यालय सामाजिक समरसता एवं समता में विश्वास करता है इसलिए निरंतर विश्वविद्यालय ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता है जिससे हमें आजादी के प्रति निष्ठा का भाव का बल मिलता है। हेरीटेज सोसाईटी  के साथ मिलकर विश्वविद्यालय राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय  व्याख्यानों में आजादी के उन पुरोधाओं को स्मरण कर रहा  है। 

हेरीटेज सोसाईटी के महानिदेशक डॉ. अनंताशुतोष द्विवेदी  ने आजादी के अमृत काल में आत्मनिर्भर भारत का हम बुनियाद रख रहे हैं। भारत के आत्मविश्वास एवं आत्मबल को आत्मनिर्भरता के संकल्प तक हम सभी ले जाने वाले  हैं।  यह अमृत महोत्सव 21 वी सदी के भारत को गति एवं  शक्ति देने वाला सिद्ध होगा। साथ ही डॉ. द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए दर्शकों से अनुरोध भी किया कि अपने आस-पास के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदानों को लिपिबद्ध कर आने वाले पीढ़ी को बताने की आवश्यकता है।  

कार्यक्रम का संचालन बाबु जगजीवन राम पीठ के शोध अधिकारी डॉ. रामशंकर  द्वारा तथा तकनीकी सहयोग आजाद हिन्द गुलशन नन्दा द्वारा  किया गया।  इस अवसर पर देश एवं विदेश के वरिष्ठ स्वतंत्रता चिन्तक, शिक्षक एवं शोधार्थी आभासी मंच से जुड़े रहे।

Program Link:  https://www.youtube.com/watch?v=dWyj_tSHQG8&t=14s

 

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