डॉ. अम्बेडकर  के महापरिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य वैचारिक स्मरण पखवाड़ा

Published On: 01-12-2021
Posted By: Public Relation Officer, Bihar Circle
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Program Video

https://www.youtube.com/watch?v=h7JOifXfmJA&t=1591s

 

सामाजिक न्याय और भारतीय राष्ट्रवाद पर  वेबिनार का आयोजन

भारत रत्न डॉ.  बी. आर. अंबडेकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अखण्ड भारत का सपना तथा  समता मूलक समाज के साथ भारतीय स्वतंत्रता के पक्षधर थे,  उक्त बातें  आजादी के अमृत महोत्सव के आयोजन श्रृंखला के समन्वयक डॉ. अनंताशुतोष द्विवेदी  द्वारा अपने स्वागत वक्तव्य में डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, हेरीटेज सोसाईटी  तथा डॉ. बी. आर. अम्बेडकर संग्रहालय एवं पुस्तकालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार कही गयी।  यह वेबिनार  डॉ. अम्बेडकर  के महापरिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित 'वैचारिक स्मरण पखवाड़ा' के अंतर्गत आयोजित की गयी थी।

 

अस्पृश्यता का उन्मूलन भी हमारा जन्म सिद्ध अधिकार- डॉ. वर्धन

‘बाबा साहब कहते थे कि अस्पृश्यता का उन्मूलन भी हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।’ यह बात डॉ. आनंद वर्धन ने कही। डॉ. वर्धन ने कहा कि भारत में सामाजिक न्याय का संघर्ष जितना प्राचीन है, उतना ही वर्गभेद भी प्राचीन है। बाबा साहेब सहित गांधी, टैगोर, राजा राममोहन राय, रामकृष्ण परमहंस आदि के समक्ष भी सामाजिक न्याय का सवाल उपस्थित था। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर का पूरा जीवन सामाजिक न्याय और शिक्षा का अधिकार दिलाने में लगा रहा। उनके तीन सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रश्र थे, जिसमें पहला यह कि डेढ़ सौ के शासनकाल में अंग्रेजी शासन ने भारत की आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक चेतना के लिए क्या कार्य किया ? इसी से जुड़े दूसरे प्रश्र में डॉ. अम्बेडकर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए कहते हैं कि सामाजिक न्याय एवं वर्ग विभेद में उसकी क्या भूमिका रही?  डॉ. अम्बेडकर सामाजिक न्याय के पक्ष में तीसरा सवाल यह उठाते हैं कि भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा से वंचित रहा, इसके लिए क्या प्रयास किया गया? डॉ. अम्बेडकर के पूना पैक्ट में भी इन्हीं बातों का उल्लेख मिलता है। डॉ. अम्बेडकर रुपये की उत्पत्ति, समस्या एवं समाधान प्रस्तुत कर अर्थवेत्ता के रूप में प्रस्तुत होते  हैं। 1922 में बाबा साहेब द्वारा प्रस्तुत अर्थनीति आर्थिक राष्ट्रवाद का एक अहम बिंदु था। डॉ. वर्धन ने बाबा साहेब की पत्रकारिता की चर्चा करते हुए उनके संपादन में प्रकाशित पत्रों का भी उल्लेख किया कि बाबा साहब का सम्पूर्ण दर्शन तर्क और वैज्ञानिकता के आधार पर था लेकिन आज उनके दर्शन का पुर्नपाठ किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है।

 

इस वेबीनार की सहयोगी संस्था अम्बेडकर संग्रहालय एवं पुस्तकालय, रामपुर  के प्रभारी पटरू ने संग्रहालय के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए उसके स्वरूप के बारे में भी बताया। उन्होंने उल्लेख किया  कि 1987 में इसका निर्माण आरंभ हुआ था और 2004 में राज्य सरकार की संस्कृति विभाग ने इसे अधिग्रहित कर आमजन के लिए खोल दिया। संग्रहालय बाबा साहेब पर केन्द्रित है तथा पुस्तकालय में भी बाबा साहब द्वारा रचित साहित्य संग्रहित है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं विद्यार्थी इसका लाभ लेते हैं।

 

ब्राउस में अम्बेडकर पीठ के आचार्य देवाशीष देवनाथ ने ब्राउस के बारे में बताया तथा विषय के बारे में जानकारी देते हुए इस बात के लिए प्रसन्नता जाहिर की कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर संगोष्ठी की श्रृंखला निरंतर जारी है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अजय दुबे ने किया।

 

अंबडेकर सामाजिक समता के साथ भारतीय स्वतंत्रता के आकांक्षी थे - डॉ. द्विवेदी

कार्यक्रम  के धन्यवाद ज्ञापन  के अपने वक्तव्य  डॉ. द्विवेदी ने मुख्य वक्ता के गहन शोध पर केंद्रित व्याख्यान के बारे में कहा  कि आजादी के अमृत महोत्सव के इस एकेडेमिक यज्ञ में  "सामाजिक न्याय और भारतीय राष्ट्रवाद : बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर " विषय पर ज्ञानवर्द्धक व्याख्यान देने हेतु सुप्रसिद्ध विद्वान  डॉ. आनंद वर्द्धन के इस ऐतिहासिक व्याख्यान से हम सभी काफी लाभान्वित हुए हैं।  अपने अनवरत व्यस्तता के बावजूद भी आपने हमारा निवेदन स्वीकार कर अपने प्रेरक शोध से हम सभी को ज्ञानवर्धन किये, इस हेतु  आयोजन संस्थानों के तरफ से, साथ ही स्वयं की  तरफ से भी  हृदय की गहराइयों से आपके प्रति आभार व्यक्त करता हूँ। उन्होंने उपस्थित सभी प्रतिभागियों से अनुरोध भी किया कि भारत की आजादी के इस अमृत यात्रा को घर -घर जरूर बताएं, साथ ही अपने विचार एवं सन्देश  भी साझा करें, तभी आपके आस-पास के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदानों को लिपिबद्ध कर हम आने वाले पीढ़ी को बताने में सफल हो पाएंगे,  साथ ही कार्यक्रम का  फीडबैक लिंक को जरूर भरिये ताकि प्रतिभागिता प्रमाणपत्र भी  दिया जा सके। 

 

एक दिवसीय इस राष्ट्रीय वेबिनार में भारत के कई राज्यों से प्रतिभगियों ने भाग लिया तथा अपने विचार भी साझा किया।  इस आयोजन में  तकनीकी सहयोग  सानन्त के डिजीटल सेल के कर्मचारियों तथा तीनों संस्थाओं के पदाधिकारियों एवं सदस्यों सहयोग प्राप्त हुआ।

 

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